मत सोचो दिन रात पाप में मनुज निरत होता हेा
हाय पाप के बाद वही तो पछताता रोता है
यह क्रंदन यह अश्रु मनुज की आशा बहुत बडी है
बतलाता है यह मनुष्यता अबतक नही मरी है
प्रेरित करो इतर प्राणी को निज चरित्र के बल से
भरो पुन्य की किरण प्रजा में अपने तप निर्मल सेा
स्वर्गीय रामधारी सिंह दिनकर
हाय पाप के बाद वही तो पछताता रोता है
यह क्रंदन यह अश्रु मनुज की आशा बहुत बडी है
बतलाता है यह मनुष्यता अबतक नही मरी है
प्रेरित करो इतर प्राणी को निज चरित्र के बल से
भरो पुन्य की किरण प्रजा में अपने तप निर्मल सेा
स्वर्गीय रामधारी सिंह दिनकर